(इनफोकस - InFocus) सोशल मीडिया और आधार लिंक (Social Media and Aadhar Link)
सोशल मीडिया और आधार
- सुर्खियों में क्यों?
- आधार लिंक क्यों?
- आधार लिंक क्यों नहीं?
- क्या होना चाहिए?
सुर्खियों में क्यों?
- सोशल मीडिया अकाउंट्स को आधार नंबर से जोड़ने के लिए बॉम्बे और एमपी हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं
- इन याचिकाओं के खिलाफ फेसबुक और वाट्सएप ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है
- अटार्नी जनरल ने घृणित सामग्रियों एवं फेक न्यूज के प्रसार पर रोक लगाने के लिए आधार को जोड़ना आवश्यक बताया
- उदा. के लिए ब्लू व्हेल में ‘क्यूरेटर’ के निर्देशों के चलते कई बच्चों की जान गई लेकित क्यूरेटर कौन था यह पता नहीं चल पाया
- इसलिए यह पता लगाना जरूरी है कि सोशल मीडिया पर इस तरह के संदेशों का प्रवर्तक कौन है
- इससे घृणित सामग्रियों एवं फेक न्यूज फैलाने वाले व्यक्ति की पहचान करके जवाबदेह ठहराया जा सकेगा।
- घृणित सामग्रियों में देश विरोधी, आतंकवाद, अपमानजनक और पोर्नोग्राफिक सामग्री शामिल है
आधार लिंक क्यों?
- सोशल मीडिया के दुरुपयोग के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं -
- सोशल मीडिया पर फेक न्यूज (येलो जर्नलिज्म) से सामाजिक सौहार्द को खतरा
- नफरत फैलाने वाले संदेशों के मामलों में प्रतिवर्ष 19 से 30 प्रतिशत की वृद्धि
- असामाजिक तत्व गलत मकसद से इसका इस्तेमाल करते हैं.
- सोशल मीडिया की व्यापक पहुच के कारण स्टेट और नॉन-स्टेट एक्टर्स की इसमें रूचि
- आतंकवादी एवं कट्टरपंथी विचारधारा के प्रसार हेतु सोशल मीडिया का दुरुपयोग
- धार्मिक, राजनीतिक या वैचारिक एजेंडे की पूर्ति हेतु सोशल मीडिया का दुरुपयोग
- देश में 3.5 करोड़ ट्विटर एकाउंट और 32.5 करोड़ फेसबुक एकाउंट इनमें से 10 फीसद एकाउंट फेक
- नामचीन लोगों और बड़ी हस्तियों समेत संवैधानिक संस्थाओं के नाम पर सैकड़ों फेक एकाउंट
- इन फर्जी एकाउंट पर जारी फर्जी खबरें मूलरूप से कई दंगों और हिंसक वारदातों के लिए जिम्मेदार
- सोशल मीडिया पर कई सारे फेक अकाउंट सक्रिय हैं जो अपने निहित एजेंडे के तहत वांछित सूचनाओं का प्रसार करते हैं
- माइक्रोसॉफ्ट ने एक सर्वे में दावा किया था कि फेक न्यूज के मामले में भारत दुनिया भर में शीर्ष पर है
- सोशल मीडिया कंपनियां प्रायः गोपनीयता का हवाला देते हुए जांच में सहयोग नहीं करती हैं
- व्हाट्सएप जैसे प्लेटफार्म पर सूचनाओं पर नियंत्रण रखना मुश्किल
- सूचनाओं का इनस्क्रिप्शन
- सर्वर अन्य देशों में स्थित होना
- फेक न्यूज़, धार्मिक उन्माद और अफवाह के संदर्भ में सोशल मीडिया कंपनियां अपने मध्यस्थ भूमिका बताते हुए इसे किनारा कर लेती है
- सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर अंकुश लगाने के लिए अपराधी की पहचान जरूरी
आधार लिंक क्यों नहीं?
- डेटा की सुरक्षा एक प्रमुख चिंता है, उदाहरण के लिए कैंब्रिज एनालिटिका का मामला
- कैंब्रिज एनालिटिका का मामले में अमेरिकी चुनाव प्रभावित किए गए
- कैंब्रिज एनालिटिका को डाटा फेसबुक से प्राप्त हुआ
- निजता से जुड़े मुद्दे ( सुप्रीम कोर्ट ने भी आधार मामले में निजता को वरीयता प्रदान की)
- ऑनलाइन गतिविधियों की निगरानी से प्राप्त डाटा के मुद्रीकरण से ‘सर्वेलान्स कैपिटलिज़म’ को बढ़ावा मिलेगा
- सरकार की भूमिका सशक्त होगी एवं ‘सर्वेलान्स डेमोक्रेसी का सृजन होगा
क्या होना चाहिए?
- कोर्ट, ट्राई एवं सरकार के सम्मिलित प्रयासों से केवाईसी की प्रक्रिया को दुरुस्त करना
- केवाईसी के अन्य विकल्पों में ड्राइविंग लाइसेंस, पैन, वोटर कार्ड, मोबाइल नंबर इत्यादि का इस्तेमाल
- एक मोबाइल नंबर से किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था
- डाटा की सुरक्षा के संदर्भ में श्री बीएन कृष्णा समिति की रिपोर्ट को लागू करना
- फेक न्यूज़ जैसे मुद्दों से निपटने के लिए उपयुक्त कानून को लागू किया जाना